Purpose of festivals - in the present references. त्यौहार एवं व्रत का उद्देश्य- वर्तमान परिपेक्ष में|

 त्यौहार एवं व्रत का उद्देश्य- वर्तमान परिपेक्ष्य में|
श्रीमती कल्पना व्यास उज्जैन
हमारे देश में बच्चों से लेकर बूढ़ों तक बिना लिंग भेद के, उत्सव- त्योहार का आगमन जन मानस को बड़े ही आनंद और उल्लास से भर देता है, जितना बड़ा त्यौहार उतना बड़ा आनंद का अवसर होता है
 यूँ तो वर्ष भर प्रतिदिन कोई न कोई व्रत और त्योहार सनातन धर्म में सम्मलित हैपूर्व काल से हीवर्षाकाल में अनेक प्राकृतिक समस्यायें विशेषकर आवागमन की, कृषि कार्य भी लगभग कम हो जाता हैइसके चलते अधिकांश व्यक्ति, विशेषकर महिलाओं के पास खाली समय अधिक रहता था|
यह प्रमाणित है कि "खाली दिमाग शैतान का घर". 
इसलिए जैसा की कहा जाता है की "व्यस्त रहो मस्त रहो"|

जब व्यस्तता नहीं होगी तब अनावश्यक विचार मष्तिष्क (खुराफातें) में उत्पन्न होंगी जिससे अनावश्यक संकट, विरोध आदि होने लगेंगें| अतः एक प्रकार से त्योहार व्यस्त रखने के एक प्रबल रास्ता रहा है|

Siddpur glory- Origin of Audichya Brahmins (Sahstra), Sidhpur, North Gujarat. औदीच्य ब्राह्मणों का मूल स्थान- सिद्दपुर -उत्तर गुजरात ,

सिद्धपुर माहात्म्य Siddpur Glory! 
लेखक- स्व. वैद्य शास्त्री पण्डित प्रेमशंकर वल्लभराम शर्मा
सिद्धपुर सहस्र औदीच्य ब्राह्मणों का मूल स्थान के बारे में जानने, दर्शन आदि की सभी औदीच्य बंधुओं की इच्छा रहती है| पूर्ण विवरण जाने-

पाहिले देखें फिर बात करें- अपनों से अपनी, आपके काम...

Audichya Brhamin: पाहिले देखें फिर बात करें- अपनों से अपनी, आपके काम...:
औदीच्य ब्राह्मण वैवाहिकी
पाहिले देखें फिर बात करें?
औदीच्‍य ब्रहम समाज के अविवाहित युवा युवतियों के लिए अपने सपनों का राजकुमार या राजकुमारी पाने में औदीच्‍य ब्राह्मण वैवाहिक पूरी तरह से मददगार है। इसमें सभी श्रेणी के युवा युवतियों की जानकारी उपलब्‍ध है-
विश्व भर के औदीच्य ब्राह्मण इसके माध्यम से साथी तलाश कर रहें है-
भारत के अतिरिक यूरोप, के अमरीका, यूके, और एशिया के गल्फ, आदि कई देशों में देखी जा रही है, इसके माध्यम से कई सम्बन्ध हो भी चुके हैं- यदि आपने अपनी जानकारी अभी तक नहीं भेजी हो तो आन लाईन फार्म भरकर कर भेजने की सुविधा भी उपलब्‍ध है।  see more--
https://audichyabrahmin.blogspot.com/2017/08/blog-post_23.html

If you have someone, who understands you

यदि आपके पास कोई है, जो आपको सुनता  है, जो आपको धेर्य पूर्वक समझता है, और जो आपसे सचमुच प्यार करता है, आपकी फ़िक्र करता है| 
जो हमेशा आपको अपनी याद में रखता है| 
जिसे आप पर गर्व है| 
जो आपसे चर्चा के बिना या किसी कॉल किए या संदेश के बिना एक दिन भी नहीं रह पाता|
उसे आपको खोने का डर हमेशा सताता है| 
कृपया उनकी देखभाल न करें, उन्हें प्यार करें, वे अपनी देखभाल में तो स्वयं सक्षम होते हें|
उन्हें आपसे वास्तविक आदर चाहिए,

ऐसे लोगों को छोटी छोटी बातों से असहमत होने पर भी दूर न जाने दें|
उनके साथ हमेशा विनम्रता के साथ पेश आयें.
हमेशा उनका साथ दें,  
ऐसे लोग हमेशा विश्वास योग्य, निश्छल, सरल, और सकारात्मक होते हें| 
मधु सूदन व्यास उज्जैन 

If you have someone, who understands you, who thinks you patiently, and who really loves you, worries you.
Who always keeps you in his memory.
Who has proud of you.
Which is not live a day, without a discussion or without a call or without a message.
He always fears about losing you.
Please do not take care of them, love them, they are capable of taking care of themselves.
They want real respect from you,
Do not let such people disagree with the small things.
Always be courteous with them.
Always cooperate with them.
Such people are always trustworthy, innocent, simple, and positive.
Madhu Sudan Vyas Ujjain

Is there anything else more important, than matching the horoscope for marriage?

Is there anything else more important, than matching the horoscope for marriage?
 विवाह निश्चित करने के लिए, जन्म पत्रिका मिलाने से अधिक जरुरी, कुछ और है?
औदीच्य वैवाहिकी विज्ञापन सेवा
पिछले दो तीन दशक से जन्म कुंडली मिलाने का चलन, चरम सीमा पर है, आज “पड़े-लिखे” जो स्वयं को विद्वान समझते हें वे भी कुंडली मिलान को प्राथमिक आवश्यकता मान रहे हें| जबकि 30 40 वर्ष पूर्व अधिकांश विवाह कार्य बिना कुंडली मिलाये किये जाते रहे है, में स्वयं और मेरे हम उम्र अन्य कई मित्र भी बिना जन्म पत्रिका मिलाये विवाह कर आज भी सुखी जीवन जी रहे हें| जबकि पिछले एक दशक से जन्म पत्रिकाएं मिलाने के बावजूद भी कई युवा युवती संतान हीनता, तलाक, अलगाव,  अथवा कडुवाहट भरा जीवन जीने के लिए विवश है|  

Audichya Brhamin: Is it Need a printed magazine for Audichya Brahmin...

Audichya Brhamin: Is it Need a printed magazine for Audichya Brahmin...:

Is it Need a printed magazine for Audichya Brahmin's wedding ad?


क्या औदीच्य ब्राह्मण विवाह विज्ञापन के लिए मुद्रित पत्रिका की आवश्यकता है?

प्रिय औदीच्य ब्राह्मण बंधुओं,
जय गोविन्द माधव.
औदीच्य ब्राह्मण वैवाहिकी [http://audichyabrahmin.blogspot.in/] ने सफलता पूर्वक पिछले 4 माह लगभग 100 से अधिक युवक युवतियों के वैवाहिक विज्ञापन प्रकाशन कर चुकी है| इसके विज्ञापन विश्व भर में देखे और पसंद किये जा रहे हैं| तीन माह में ही इसके माध्यम से लगभग 10 से अधिक विवाह निश्चित हो भी चुके हें|

औदीच्य बंधू डिजिटल पत्रिका प्रकाशित होना चाहिए?

प्रिय मित्रो 
"औदीच्य बंधू मासिक पत्रिका" वर्ष २०१२ से सतत जनवरी २०१७ तक डिजिटल प्रकशन के रूप में हम आपको उपलब्ध करते रहें है| 
समाज संगठन, बंधू सम्पादन / व्यवस्था आदि परिवर्तन से फरवरी 17 से हमको मेल से प्राप्त होने वाली (पीडीएफ औदीच्य बन्धु) प्राप्त न होने के कारण हम आपको "डिजिटल पत्रिका उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हें| 

Features of an auspicious bride- विवाह के रंग-जीवन के संग

विवाह के रंग-जीवन के संग
Uddhav Joshi                    
भारतीय समाज में विवाह कब से प्रारम्भ हुए और किसने किया इसका विचार करने पर पहला उदाहरण उद्दालक के पुत्र श्वेतकेतु का मिलता है। जब श्वेतकेतु की माता जबाला अपने इस बालक के लिए भोजन बना रही थी, जब एक शक्तिशाली व्यक्ति आया और उन्हे बलात अपनी वासनापूर्ति के लिए ले गया। बालक के मन पर इस घटना का गहरा प्रभाव पडा! वयस्क होने पर वह एक महान ऋषि बना और उसने समाज में विवाह नामक संस्था की नीव रखी! यह कथा पुरा वैदिक है, परन्तु निश्चित ही यह विवाह संस्था के विकास पर प्रकाश डालती है!
हिन्दू समाज में विवाह को एक पवित्र संस्कार के रूप में माना

Audichya Brhamin: A message to all the Audichya Brahmins.

Audichya Brhamin: A message to all the Audichya Brahmins.:



A message to all the Audichya Brahmins.

देश के समस्त औदीच्य ब्राह्मण बन्धुओं के लिए एक सन्देश. 
मित्रोपिछले आठ से अधिक वर्ष से 'औदीच्य बंधू वेवब्लॉग का प्रसारण किए जा रहा था|औदीच्य महासभा में व्याप्त राजनीती ने समाज के सभी तटस्थ व्यक्तियों को भी व्यथित कर दिया था|इसमें समाज हित के विभिन्न लेखगतिविधियांसमाचारवैवाहिक विज्ञापनऔर औदीच्य बधू पत्रिका भी पिछले कई वर्षों से डिजिटल रूप में उपलब्ध होती रही थीपाठको की बडती संख्या और हमको दिए गए प्रोत्साहन ने हमारा होंसला भी बडाया था
पिछले लगभग एक वर्ष से आज तक कई बार बंधुओं ने वैवाहिक विज्ञापन के लिए बारम्बार आग्रह किया है
इस प्रोत्साहन एवं आग्रह को देख कर अब हमने यह निर्णय लिया हैकी वैवाहिक विज्ञापन हेतु नई साईट निर्मित की जायेयह ब्लॉग साईट केवल वैवाहिक विज्ञापन एवं विवाह विषयक जानकारियों से ही सम्बद्ध रहेगायह साईट किसी भी संस्था आदि के प्रति उत्तरदाई नहीं होगीइससे हम अपना कार्य निष्पक्ष करने में समर्थ होंगे
इस साईट पर पूर्व की तरह औदीच्य ब्राह्मणों के वैवाहिक विज्ञापन प्रमुख रूप से, निशुल्क एक वर्ष के लिए प्रसारित किये जा सकेंगे
वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार कई बधू सर्व ब्राह्मण को एक मानते हुए वैवाहिक सम्बन्ध स्वीकार करते हें अत: उनकी इस सोच को ध्यान में रखते हुए अन्य ब्राह्मण समाज के वैवाहिक विज्ञापन स्वीकार कर प्रकाशित किये जा सकेंगेजो विशेष शीर्षक अन्य ब्राह्मण पर उपलब्ध होंगेइस साईट में सुविधा हेतु शिक्षाआयु व्यवसायया नौकरी आदि के लिए भी अलग अलग शीर्षक (पेज) उपलब्ध होंगे
ओन लाइन प्रविष्टि/ मेल प्रविष्टि / एवं डांक से प्रविष्टि स्वीकार की जा सकेंगी
इस बारे में कोई भी विशेष या अन्य जानकारी हेतु सपर्क निम्न पते/ फोन पर भी कर सकेंगे
E mail- audichyamp@gmail.com 
Uddhav Joshi 
उद्धव जोशी 
F 5/20 LIG Rishi Nagar Ujjain MP India 


ऍफ़ 5/20 एल आई जी, ऋषि नगर उज्जैन मप्र  फोन-  9406860899/  0734-2515677 
Audichya Brhamin वैवाहिक 

“ठाकुर सुहाती या चापलूसी स्वीकार न करने पर “औदीच्य बंधू” मासिक इन्दोर के सम्पादक मंडल में परिवर्तन संभावित?

जनवरी औदीच्य बंधू का डिजिटल एडिशन प्रस्तुत है विचारने योग्य इस लेख के साथ-
ठाकुर सुहाती या चापलूसी स्वीकार न करने पर “औदीच्य बंधू” मासिक इन्दोर के सम्पादक मंडल में परिवर्तन संभावित?

औदीच्य बंधू  जनवरी 17 डिजिटल अंक 
औदिच्य बंधू मासिक पत्रिका का दिसमबर के बाद अब पुन: जनवरी 17 का नव वर्ष का नया अंक सम्पादक मंडल के नामों से रहित, अपने आप में विशेष हैI दिसम्बर के पिछले अंक से ही पूर्व सम्पादक मंडल प्रमुख सर्व श्री ओंम ठाकुर, संपादक सर्व श्री धर्मेन्द्र रावल, सर्व श्री उद्दव जोशी प्रबंध संपादक सर्व श्री मनमोहन ठाकर जी के नाम उनकी जगह देखने नहीं मिले प्रमुख संपादक श्री ओम जी के सत्य को इंगित करता हुआ लेख दिसंबर अंक में देखा गया था, नई पुन: पीड़ा के साथ लिखा गया स्वतंत्र कलम से लिखा गया शायद अब अंतिम लेख हो सकता हैI
जैसा की सभी जानते हें की पिछले दिनों अखिल भारतीय औदिच्य महासभा अध्यक्ष के चुनाव आर्थिक धरातल पर वर्चस्व की भावना स्थापित करने के उद्देश्य से लादे गए थे, जिन्हें महत्वाकांक्षियों ने अपने पक्ष में कर लिया थाI इसके बाद अगले चरण में स्वतंत्र पत्रिका औदिच्य बंधू जिसके जन्म के लिए महासभा की कोई भूमिका नहीं हैI