विधवा, परित्‍यक्‍ता बेटियों एवं विधुर के जीवन में इन्‍द्रधनुषीय रंग भरें।




    वर्तमान समय में शासन,समाज और समाज सेवी संस्‍थाओं का ध्‍यान केवल बेटी बचाओ आन्‍दोलन की ओर है, किन्‍तु जो बेटियां इस धरा पर आई तथा हाथों में मेंहदी रचा और मांग में सिंदुर भर, यौवन में ही विधवा होगई। वे बेटियां और बेटे जो शादी के बन्‍धन में तो बंधे किन्‍तु किन्‍ही कारणों से एक दूसरे से अलग होकर परित्‍यक्‍त जीवन जी रहे है। इनके साथ ही वे बेटे जिनकी उम्र अधिक होने के कारण वैवाहिक बन्‍धन में नहीं बंध पा रहे हैं । अपनी आंतरिक पीडा तो व्‍यक्‍त नहीं कर सकते और ऐसे दर्द भरे चेहरों की भाषा भी किसी के व्‍दारा नहीं पढी जा रही है । यही कारण है कि आज हमारे समाज में उदास होते चेहरों संख्‍या बढती जा रही है। वैधव्‍य प्राप्‍त बेटियों की पीडा को सदैव नजर अन्‍दाज किया जाता रहा है। ऐसी बेटियों के शुष्‍क जीवन में हरियाली  लाने के लिये कहीं कहीं सतही तौर पर निष्‍प्राण जैसे प्रयास अवश्‍य हुवे हैं।
   
  परिवार और समाज मिलकर वैधव्‍य के दौर से गुजर रही कम वय की बेटियों, परित्‍यक्‍त एवं विधुर बेटे बेटियों तथा उन बेटों के बारे में जो अधिक उम्र के कारण अभी तक विवाह बन्‍धन में नहीं बंधे है की जटिल समस्‍या के समाधान कर सकते हैं । सामाजिक तथा पारिवारिक आयोजनों में जब भी इस विषय पर चर्चा होती है हर व्‍यक्ति इस समस्‍या के समाधान की बात करते हैं तो अब वही परीक्षा की घडी आपके साथ है, आईये हम आज और अभी से इस और निर्भयता से आगे आकर उनके दर्द को छूमन्‍तर करने का ठोस और सटीक प्रयास आरम्‍भ करें । इसके लिए हमें कई तरह के कडवे घूट भी पीना पडे तो इसके लिए पूरी तरह से तैयार रहना होगा।

  1.  सर्व प्रथम उपरोक्‍त पीडा को भुगत रही बेटियों, बेटों को अपना संकल्‍प शक्ति और सुद्रढ मानसिक स्थिति के साथ अपनी बात अपने से बडों या समाज के साथ बाटना होगी ।
  2.  जो माता पिता अपने  बेटे, बेटियों तथा जो सास ससुर अपनी बहुओं को ऐसी पीडा में अपने साथ रखते हुए उनके कष्‍टों का प्रतिदिन अनुभव कर रहे हैं, अब निर्भयता पूर्वक आगे आकर उनके दामन में खुशियों को बिखेरने के लिए समाज के साथ कदम से कदम मिला कर चलना होगा ।
  3.  वे युवक जो विधुर,परित्‍यक्‍त और अधिक उम्र के होकर एकाकी जीवन जी रहे है ,आगे आकर अपने जीवन को सार्थक बनाना होगा ।यदि पूर्व से आपकी गोदी में बचपन खेल रहा हो तो उसके बारे में अवश्‍य बताये ताकि ऐसा जीवन साथी ढूढने का प्रयास हो जो उनकी जिम्‍मेदारी को खुशी खुशी संभाल सके
  4.  ऐसे उदासीन चेहरों पर मुस्‍कराहट बिखेरने के लिए सुअवसर और भाग्‍य आपके लिए जीवन के नये व्‍दार खोल रहा है । आपका निर्णय ही आपको सुखी बनायेगा । 
  5.  विदेशों में रह रहे औदीच्‍य समाज के भारतीय परिवारों में भी यदि ऐसे बेटे बेटियां हो तो वे भी आगे आयें। 
  6.  महिला ,युवा एवं समाज के अन्‍य संगठनों को खुद ऐसे परिवारों तक चलकर जाना होगा और उन्‍हे इसके लिऐ प्रेरित करना होगा 
  7.  अपनी सपूर्ण जानकारी निम्‍न पतों पर या ई मेल एड्रेस पर भेजें। आपसे प्राप्‍त जानकारी के आधार पर योग्‍य जीवन साथी के परिवार से आपका सम्‍पर्क कराया जाकर  वैवाहिक संबंधों के सामाजिक दायित्‍व को हमारे व्‍दारा निभाया जावेगा। यदि आप चाहेगें तो आपकी जानकारी को  औदीच्‍य बन्‍धु वेबसाईड पर भी प्रकाशित किया जावेगा। हम  आपकी सहमति के अनुसार अपने कर्त्‍तव्‍य को सही रूप में निभाने का प्रयास करेगें । 
  •  डॉ;मधूसूदन व्‍यास,   4/1 प्रगति नगर ,एमआयजी उज्‍जैन फोन  0731-2519707/ audichyamp@gmail.com   
  •  उध्‍दव जोशी,   एफ 5/20 एलआयजी ऋषिनगर उज्‍जैन , मो; 94068 6089/  uddhavjoshi1946@gmail.com